दोस्तों आज हम uptet में पूछे गए 2017 के प्रश्नों को one liner की तरह पेश कर रहे है। पिछले वर्षों Previous Year के पेपरों का यह संग्रह आपकी आगामी परीक्षाओं में मद्दद करेगा ।
यहाँ पर हमने प्रश्न क्रमांक 15 से 30 तक के प्रश्नों को वन लाइनर की तरह पेश किया है।
अगले ब्लॉग में 1 से 15 के प्रश्नों को यहाँ रखने की कोशिश करेंगे। जो कक्षा 6 से 8 तक के लिए है।
तो चलिये start करते है आज के प्रश्नों को ....
15- गाल्टन को सुजननशास्त्र का पिता कहा जाता है सुजनन विज्ञान व्यवहारिक वंशानुक्रम की वह शाखा है
जिसके अंतर्गत वंशानुक्रम के सिद्धांतों की सहायता से भावी पीढ़ियों को वंशानुक्रम में प्राप्त होने वाले लक्षणों को नियंत्रित किया जाता है ।
जिससे मानव जाति की नस्ल सुधर सके ।
( 1 ) लम्बकाय ( Asthenic ) ,
( 2 ) सुडौलकाय ( Athletic ) ,
( 3 ) ( Pybnic )
स्प्रेन्जर ने समाजशास्त्रीय आधार व्यक्तित्व के छः प्रकार बताये हैं
( 1 ) सैद्धान्तिक ,
( 2 ) आर्थिक ,
( 3 ) सामाजिक ,
( 4 ) राजनैतिक ,
( 5 ) धार्मिक ,
( 6 ) कलात्मक ।
17- "सृजनात्मकता मौलिक परिणामों को अभिव्यक्त करने की मानसिक प्रक्रिया है" यह कथन क्रो एंड क्रो का है।
18- पूर्व किशोरावस्था ( 12-14 वर्ष ) के किशोर में शारीरिक और मानसिक स्वतंत्रता की प्रबल भावना होती है । अतः यदि उस पर किसी प्रकार का प्रतिबन्ध लगाया जाता है हो उसमें विद्रोह की ज्वाला फूट पड़ती है । कोलेसनिक का कथन है- “ किशोर , प्रौढ़ो को अपने मार्ग में बाधा समझता है , जो उसे अपनी स्वतंत्रता का लक्ष्य प्राप्त करने से रोकते हैं ।
19- सीखने की वह अवधि , जब सीखने की प्रक्रिया में कोई उन्नति नहीं होती , सीखने का पठार कहलाता है ।
20- स्टर्न तथा कुहलमान ने सन् 1912 में बुद्धि लब्धि , जिसे संक्षेप में आई . क्यू . ( I.Q. ) कहते है का प्रतिपादन किया था ।
टरमैन ने मानसिक आयु और वास्तविक आयु के अनुपात में 100 का गुणा करके बुद्धिलब्धि सम्प्रत्य को विकसित किया । बुद्धि लब्धि ( I.Q. ) = मानसिक आयु ( M.A ) / वास्तविक आयु ( C.A ) x100
21- सीखने के प्रयास व भूल के सिद्धान्त का प्रतिपादन थार्नडाइक महोदय ने किया ।
इसे उद्दीपक अनुक्रिया सिद्धान्त , सम्बन्धवाद / बधंन सिद्धान्त भी कहते है जबकि कोहलर ने सूझ या अंतर्दृष्टि का सिद्धान्त , पैवलव ने अनुकूलित अनुक्रिया का सिद्धान्त ।
तथा गेस्टाल्ट मनोवैज्ञानिको में कोहलर , कोफ्का , लेविन बीइमर जैसे मनोवैज्ञानिको के नाम सम्मिलित किये जाते हैं ।
22- सामान्य मानव कोशिका में गुणसूत्रों की संख्या 46 होती है जो 23 के जोड़े में होते हैं ।
इनमें से 22 गुणसूत्र नर और मादा में समान और अपने - अपने जोड़े के समजात होते हैं इन्हें सम्मिलित रूप से समजात गुणसूत्र ( Autosomes ) कहते है।
23 वे जोड़े के गुणसूत्र स्त्री और पुरुष में समान नहीं होते जिन्हें विषमजात गुणसूत्र ( Heterosomes ) कहते हैं ।
23- कोहलर अधिगम के सिद्धान्त से सम्बन्धित है । इनके सीखने / अधिगम के सिद्धान्त को ' गेल्टाल्ट अधिगम सिद्धान्त के नाम से जाना जाता है।
और इस सिद्धान्त को ही पूर्णाकार सिद्धान्त , समग्र सिद्धान्त , पूर्णाकृति सिद्धान्त , अन्तर्दृष्टि सिद्धान्त या सूझ सिद्धान्त आदि नामों से भी जाना जाता है ।
इन्होंने अपना प्रयोग ' सुल्तान ' नामक चिंपांजी पर किया ।
24- सीखने के क्रिया प्रसूत अनुबन्धन सिद्धान्त के प्रवर्तक प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक बी . एफ . स्कीनर थे । इनका महत्वपूर्ण प्रयोग चूहे और कबूतर पर था ।
25- बुद्धि के तरल क्रिस्टलीय प्रतिमान का प्रतिपादन आर . बी . कैटल ने किया था । कैटल के अनुसार बुद्धि के दो महत्वपूर्ण तत्व क्रमशः तरल बुद्धि तथा ठोस बुद्धि हैं । तरल बुद्धि को तर्क के आधार पर नवीन समस्याओं को हल करने की योग्यता के रूप में तथा ठोस बुद्धि को शिक्षा , प्रशिक्षण व अनुभव पर आधारित योग्यता के रूप में परिकल्पित किया गया ।
26- शिक्षण हेतु मानसिक उद्देलन प्रतिमान ( Brainstorming model ) का प्रयोग सृजनात्मकता में सुधार हेतु किया जाता है।
27- संवेगात्मक बुद्धि ( Emotional Intelligence ) स्वयं की एवं दूसरो की भावनाओ अथवा संवेगों को समझने , व्यक्त करने और नियंत्रित करने की योग्यता है । डेनियल गोलमैन ' संवेगात्मक बुद्धि ' नामक पुस्तक लिखकर इस ओर सभी का ध्यान आकर्षित किया ।
28- अधिगम के लिए अधिगम का सिद्धान्त , समान अवयवों का सिद्धान्त , सामान्यीकरण का सिद्धान्त ये सभी अधिगम स्थानान्तरण के सिद्धान्त है । जबकि ड्राइव रिडक्शन सिद्धान्त अधिगम का सिद्धान्त है जिसका प्रतिपादन क्लार्क एल . हल ने किया था ।
29- संज्ञानात्मक सम्प्राप्ति ज्ञान और बौद्धिक कौशल को शामिल करता है । संज्ञानात्मक सम्प्राप्ति क्रमशः छः चरणों मे होता . है- ज्ञान , समझ , अनुप्रयोग , विश्लेषण , संश्लेषण और मूल्यांकन ।
30- जब किसी परिस्थिति में अर्जित ज्ञान , अनुभव , प्रशिक्षण का उपयोग प्राणी के द्वारा किसी अन्य भिन्न प्रकार की अथवा उच्चस्तरीय परिस्थितियों के अध्ययन में किया जाता है तो इसे सीखने का उर्ध्व अंतरण कहते है।
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